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ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू के खाते में 243 में से 102 या 103 सीटें मिल सकती हैं। वहीं भाजपा के खाते में 101 से 102 सेट जा सकती है। 40 सीट लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा में दी जाएगी।
बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण को साधने की कोशिश में लगे हुए है। बिहार में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है। इसी कड़ी में अब एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे की ही तरह विधानसभा चुनाव में भी सीट बंटवारा किया जाएगा। आपको बता दें कि भाजपा 17, जदयू 12, लोजपा 5 और हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू के खाते में 243 में से 102 या 103 सीटें मिल सकती हैं। वहीं भाजपा के खाते में 101 से 102 सेट जा सकती है। 40 सीट लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा में दी जाएगी। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी को 25 से 28 सीटें मिल सकती है। वहीं, जीतन राम मांझी को 6 से 7 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा को चुनाव लड़ने के लिए चार से पांच सीटें जा सकती हैं। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बिहार में एनडीए के चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू बड़े भाई की भूमिका में रहने वाली है।
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की ताकि समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाकर “85 फीसदी” करने के लिए नये विधेयक पेश किए जा सकें। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने यह पत्र सोशल मीडिया पर साझा किया। पत्र में उन्होंने नीतीश सरकार पर इस मुद्दे पर “जानबूझकर” टालमटोल करने का आरोप लगाया। तेजस्वी जब बिहार के उपमुख्यमंत्री थे, तब राज्य में कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया गया था।
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