केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके पर तीखा हमला करते हुए कहा कि इसने अपने कार्यकाल के पिछले चार वर्षों में भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर दी हैं। रविवार को मदुरै में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी संकल्प लिया कि भाजपा 2026 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में सरकार बनाने जा रही है। शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा मुहैया कराए गए 450 करोड़ रुपये के पोषण किट को एक निजी कंपनी को सौंपकर बहुत बड़ा घोटाला किया और गरीबों को भोजन से वंचित कर दिया।
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संबोधन के शुरूआत में अमित शाह ने कहा कि मैं तमिलनाडु के पार्टी कार्यकर्ताओं से क्षमा मांगता हूं क्योंकि मैं उनसे भारत की महानतम भाषाओं में से एक तमिल में बात नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा कि 2026 में यहां भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन की एनडीए सरकार बनेगी। मैं दिल्ली में रहता हूं, लेकिन मेरे कान हमेशा तमिलनाडु पर लगे रहते हैं। एमके स्टालिन कहते हैं कि अमित शाह डीएमके को नहीं हरा सकते। वह सही कह रहे हैं। मैं नहीं, बल्कि तमिलनाडु की जनता आपको हराएगी।
उन्होंने यह भी दावा किया कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार ने 4,600 करोड़ रुपये का रेत खनन घोटाला भी किया है, जिससे राज्य के गरीब लोगों को ऊंचे दामों पर रेत खरीदना पड़ रहा है, ताकि सत्तारूढ़ पार्टी को पैसा बनाने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि मैं तमिलनाडु सरकार से अपनी मांग दोहराना चाहता हूं कि जल्द ही मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल भाषा में भी होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल को संसद में बिठाकर तमिलनाडु का सम्मान किया है और मैं उम्मीद करता हूं कि एमके स्टालिन प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसके लिए धन्यवाद देंगे।
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गृह मंत्री ने कथित तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएसएमएसी) घोटाले का भी मुद्दा उठाया और दावा किया कि इससे राज्य के खजाने को 39,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसका इस्तेमाल तमिलनाडु के प्रत्येक स्कूल में दो अतिरिक्त कमरे बनाने में किया जा सकता था। हालांकि, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले में प्रवर्तन निदेशालय की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि यह केंद्रीय एजेंसी की शक्तियों का अतिक्रमण और संविधान का उल्लंघन है।