भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने गुजरात, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों, झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ और इलाकों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने की जानकारी दी है।
मौसम विभाग ने सोमवार को बताया कि अब मॉनसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई है। मानसून 16 जून तक सक्रिय अवस्था में रह सकता है। दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और कोंकण एवं गोवा में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा और अत्यंत भारी वर्षा (20 सेमी से अधिक) होने की संभावना है। यह मध्य अरब सागर, कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तरी अरब सागर और गुजरात के शेष भागों की ओर बढ़ गया। मानसून की उत्तरी सीमा वेरावल, भावनगर, वडोदरा, खरगोन, अमरावती, दुर्ग, बरगढ़, चांदबली, संधेल द्वीप और बालुरघाट से होकर गुजरी है।
पिछले सप्ताह एक पखवाड़े के अंतराल के बाद मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो गईं है। इसका मुख्य कारण कमजोर प्रवाह और उत्तर-पश्चिम से शुष्क हवा का प्रवेश था। आईएमडी के महानिदेशक एम. महापात्रा ने शुक्रवार को कहा कि इस सप्ताह बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने की उम्मीद है, जिससे बारिश में वृद्धि होगी। “वर्षा की गतिविधि पश्चिम की ओर बढ़ेगी और मानसून 19 जून और 25 जून के सप्ताह में उत्तर-पश्चिम भारत सहित लगभग पूरे देश को कवर करेगा।”
केरल में मानसून अपनी सामान्य तिथि से आठ दिन पहले 24 जून को पहुंचा। यह 2009 के बाद से सबसे जल्दी आगमन था। 24 मई को आगमन आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुरूप था और पिछले 55 वर्षों में पांचवां सबसे जल्दी मानसून आगमन था। सबसे पहले इसकी शुरुआत 18 मई 1990 को दर्ज की गई थी।
मानसून, जो भारत की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है, चिलचिलाती गर्मी से राहत प्रदान करता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, भारत का 51% कृषि क्षेत्र, जो उत्पादन का 40% है, वर्षा पर निर्भर है, जिससे मानसून महत्वपूर्ण हो जाता है। देश की 47% आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, इसलिए भरपूर मानसून का स्वस्थ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ सीधा संबंध है।