अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का काम तेजी से शुरू हो गया है। भाजपा के सहयोगी संगठन हिंदू मुन्नानी ने लोगों से अपील की है कि वे अगले साल अप्रैल में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में हिंदू वोट बैंक की ताकत दिखाएं। हम आपको बता दें कि दक्षिणपंथी संगठन द्वारा आयोजित भगवान मुरुगन भक्त सम्मेलन में हिंदू मुन्नानी ने ‘हिंदू एकता’ और हिंदुओं के अधिकारों व मंदिरों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया है। इस सम्मेलन में आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण और तमिलनाडु भाजपा के कई पदाधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि डीएमके सरकार को मंदिरों को राजस्व के स्रोत की तरह देखना बंद करना चाहिए और इन निधियों का उपयोग भक्तों के लाभ के लिए करना चाहिए।
सम्मेलन में दिये गये अपने संबोधन में आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंदू धर्म को निशाना बनाने वाले ‘फर्जी धर्मनिरपेक्षतावादियों’ की आलोचना की और सभी धर्मों का सम्मान करने की अपील की। भगवान मुरुगन के श्रद्धालुओं के विशाल सम्मेलन “मुरुगा भक्तर्गल मानाडु” को संबोधित करते हुए पवन कल्याण ने कहा कि वह “धर्मान्ध हिंदू नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्ध हिंदू हैं।” अपने संबोधन में पवन कल्याण ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द बहुत से लोगों के लिए “सुविधाजनक शब्द” है। उन्होंने कहा, “विशेष रूप से नास्तिकों के लिए, जो ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं…भारत में वे हिंदू देवताओं में विश्वास नहीं करते।” उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब किसी भी धर्म के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन उनके लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब हिंदू धर्म को छोड़कर किसी भी धर्म के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं है। जन सेना पार्टी के संस्थापक पवन कल्याण ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं को निशाना बनाना आम बात हो गई है।
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पवन कल्याण ने कहा कि तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों में अरब से आए धर्म के बारे में बोलने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नास्तिकों की आदत बन गई है हमारे देवताओं को नीचा दिखाने की। यह बदलना चाहिए। अगर यह नहीं बदला, तो हिंदू धर्म को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।” तमिल में बोलते हुए पवन कल्याण ने पासुम्पोन रामलिंगा थेवर जो थेवर समुदाय के आदर्श माने जाते हैं, उनको भगवान मुरुगन का अवतार और “दुनिया के पहले क्रांतिकारी नेता” के रूप में संबोधित किया। हम आपको बता दें कि थेवर समुदाय दक्षिण तमिलनाडु में एक प्रभावशाली वोट बैंक है।
वहीं सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा की तमिलनाडु इकाई के पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा कि हिंदू धर्म से किसी भी तरह का मतांतरण नहीं होना चाहिए और जो लोग धर्म बदल चुके हैं, उन्हें हिंदू धर्म में वापस लौट आना चाहिए। अन्नामलाई ने कहा कि भगवान मुरुगन के भक्तों के सम्मेलन में हिंदुओं की भारी उपस्थिति सत्ता में बैठे लोगों के लिए एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि भगवान मुरुगन के प्रत्येक मंदिर का एक विशेष संदेश होता है— प्रेम, ज्ञान, दांपत्य जीवन, बुराई पर विजय और शांति। उन्होंने कहा, “यह सत्ता में बैठे लोगों को तय करना है कि वे हिंदुओं को किस रूप में देखना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि हिंदू अक्सर उन्हें क्षमा कर देते हैं जो उन्हें छोटा या बड़ा नुकसान पहुँचाते हैं, लेकिन आज हिंदू अपने जीवन जीने के तरीके पर लगातार हमलों का सामना कर रहे हैं। अन्नामलाई ने कहा, “राजनीतिक नेता जो हिंदू वोटों से सत्ता में आते हैं, वही हिंदुओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हिंदू कभी एकजुट नहीं होंगे।”
अन्नामलाई ने कहा कि “हमारे बच्चों को माथे पर विभूति (भस्म) लगाने और स्कूल में रुद्राक्ष माला पहनने का अधिकार मिलना चाहिए। ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए ऐसे सम्मेलनों की आवश्यकता है।” उन्होंने आगे कहा कि यहूदियों की विश्व जनसंख्या केवल 0.2% है, फिर भी वे अपने अधिकारों के लिए चार देशों से लड़ रहे हैं। अन्नामलाई ने कहा कि जब भारत सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ता है, तो हमारे राजनीतिक नेता आलोचना पर उतर आते हैं।
इसके अलावा, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष नयनार नागेन्द्रन ने कहा कि सम्मेलन को रोकने की कई कोशिशों के बावजूद यह कार्यक्रम लाखों की भीड़ के साथ सफल रहा। उन्होंने भगवान मुरुगन के प्रसिद्ध भक्ति गीत “मरुधमलई मामणियें” की पंक्तियाँ गाकर भीड़ में उत्साह भर दिया। वहीं आरएसएस नेता आर. वन्नियाराजन ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदू समाज में अस्पृश्यता और भेदभाव के कारण ही उसका विघटन हुआ। उन्होंने कहा कि आरएसएस का मानना है कि अस्पृश्यता एक पाप है और हिंदू एकता के लिए इसे जड़ से समाप्त करना जरूरी है। इसके अलावा, हिंदू मुन्नानी नेता भक्तवचलम ने कहा कि तमिलनाडु में लोग अलग-अलग पूजा करते हैं। यहाँ भक्ति है लेकिन शक्ति नहीं। उन्होंने कहा, “इस सम्मेलन का उद्देश्य यह है कि तमिलनाडु के लोग कम से कम महीने में एक बार एक साथ मिलकर ‘कंध शष्ठी कवचम्’ का पाठ करें।”
हम आपको एक बार फिर बता दें कि इस सम्मेलन का आयोजन हिंदू मुन्नानी (हिंदू फ्रंट) द्वारा किया गया था और इसमें के. अन्नामलाई सहित विभिन्न हिंदू संगठनों, धर्मगुरुओं और अन्नाद्रमुक तथा भाजपा के नेताओं ने भाग लिया। हम आपको यह भी बता दें कि वैसे तो भाजपा की सहयोगी एआईएडीएमके ने इस सम्मेलन पर चुप्पी साध रखी है मगर पार्टी के चार पूर्व मंत्री— आरबी उदयकुमार, सेलुर के. राजू, राजेंद्र बालाजी और कडम्बूर राजू इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और भाजपा के वरिष्ठ नेता एच राजा, तमिलीसाई सौंदरराजन और वनाथी श्रीनिवासन भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
उधर, विरोधी दलों ने इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा तथा उसके सहयोगियों पर निशाना साधा है। तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ अनुदान मंत्री पीके शेखरबाबू ने कहा कि भगवान मुरुगन कभी गलत लोगों को आशीर्वाद नहीं देंगे। उन्होंने कहा, “भगवान मुरुगन जानते हैं कि कौन-सा आयोजन राजनीतिक है और कौन-सा आध्यात्मिक। वे सही और गलत में फर्क कर सकते हैं। इसलिए वे कभी भी गलत लोगों के साथ नहीं होंगे।” वहीं एनटीके प्रमुख सीमान ने कहा कि भाजपा, तमिलनाडु में भगवान राम और गणेश के जरिए राजनीतिक लाभ लेने में असफल रही, इसलिए अब वे भगवान मुरुगन को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया, “जब इतने वर्षों तक वे उत्तर भारत में राम, तमिलनाडु में गणेश और केरल में अयप्पा की बात करते रहे, तो अब अचानक मुरुगन को क्यों अपनाने की कोशिश कर रहे हैं?”