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Jan Gan Man: Muslims, Christians, Sikhs, Buddhists, Jains, Parsis जैसे अल्पसंख्यकों के लिए Modi सरकार ने क्या किया?


2014 से पहले भारत में तुष्टिकरण की नीतियों का बोलबाला था मगर इसके बावजूद अल्पसंख्यकों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति दयनीय बनी रही। सच्चर कमिटी की रिपोर्ट से यह जगजाहिर हो गया था कि तत्कालीन सरकारों ने अल्पसंख्यकों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया और उनके पूर्ण उत्थान के लिए समुचित प्रयास नहीं किये गये। मगर 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से तुष्टिकरण की नीतियों की जगह सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत का पालन किया गया जिससे आज अल्पसंख्यकों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
हम आपको बता दें कि पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत सरकार ने केंद्रीय स्तर पर अधिसूचित छह अल्पसंख्यक समुदायों- मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के समावेशी विकास को बढ़ावा देने और सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि शैक्षिक अवसरों, आर्थिक सशक्तिकरण योजनाओं, सामुदायिक अवसंरचना परियोजनाओं, सांस्कृतिक संरक्षण और डिजिटल सुधारों के मिश्रण के जरिये सतत और न्यायसंगत विकास के लिए आधार तैयार किया गया है। देखा जाये तो ये पहलें, भारत के सभी अल्पसंख्यक नागरिकों के लिए सम्मान, समान अवसर और समग्र विकास सुनिश्चित करने के प्रति एक दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
भारत में अल्पसंख्यकों के लिए चल रही योजनाओं की बात करें तो सबसे पहले शिक्षा क्षेत्र में चल रही स्कीमों की बात करते हैं। बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना के तहत कक्षा IX से XII में पढ़ने वाली अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई। इस योजना को मौलाना आज़ाद शिक्षा फाउंडेशन (एमएईएफ) द्वारा कार्यान्वित किया गया था– जो अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (एमओएमए) के तहत एक स्वायत्त निकाय है। जिन छात्रों के माता-पिता/अभिभावकों की वार्षिक आय 2.00 लाख रुपये से अधिक नहीं है, वे इस योजना के तहत छात्रवृत्ति पाने के पात्र हैं।

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नया सवेरा: (‘निःशुल्क कोचिंग एवं संबद्ध’ योजना) यह योजना 2007 में शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों अर्थात् सिख, जैन, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और पारसी से संबंधित छात्रों/अभ्यर्थियों को विशेष कोचिंग के माध्यम से तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और रेलवे सहित केंद्र और राज्य सरकारों के तहत समूह ‘ए’, ‘बी’, और ‘सी’ सेवाओं और अन्य समकक्ष पदों पर भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने हेतु सहायता प्रदान करना है।
रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण योजनाओं की बात करें तो आपको बता दें कि पीएम विकास एक प्रमुख योजना है, जिसमें पाँच पूर्ववर्ती योजनाओं अर्थात ‘सीखो और कमाओ’, ‘नई मंजिल’, ‘नई रोशनी’, ‘हमारी धरोहर’ और ‘उस्ताद’ को एकीकृत किया गया है; यह योजना कौशल विकास, अल्पसंख्यक महिलाओं की उद्यमिता और नेतृत्व तथा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षा सहायता के माध्यम से छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करती है।
1. सीखो और कमाओ: योग्यता, आर्थिक रुझान और रोजगार के लिए बाजार की संभावनाओं या स्वरोजगार के आधार पर आधुनिक/पारंपरिक व्यवसायों में युवाओं (14-45 वर्ष) के कौशल को उन्नत करने के उद्देश्य से यह योजना छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कार्यान्वित की गयी। महिलाओं के लिए 33% निधि निर्धारित की गई है।
2. नई मंजिल: अल्पसंख्यक समुदाय के स्कूल छोड़ने वाले या मदरसों से आने वाले बच्चों के लिए 8 अगस्त 2015 को 50% विश्व बैंक के वित्तपोषण के साथ शुरू की गई। इस योजना के तहत औपचारिक शिक्षा (कक्षा आठवीं/दसवीं) और बेहतर रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
3. नई रोशनी: इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, कानूनी अधिकार, वित्तीय/डिजिटल साक्षरता, जीवन कौशल, स्वच्छ भारत और सामाजिक वकालत जैसे महिला-केंद्रित विषयों पर छह दिवसीय गैर-आवासीय/पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के माध्यम से अल्पसंख्यक महिलाओं (18-65 वर्ष) को सशक्त बनाना है।
4. हमारी धरोहर: भारतीय संस्कृति के तहत प्रदर्शनियों, साहित्य/दस्तावेज संरक्षण के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की योजना। इसमें विरासत भवनों का संरक्षण शामिल नहीं है।
5. उस्ताद: यह योजना पारंपरिक अल्पसंख्यक कला/शिल्प को संरक्षित करने के लिए 14 मई 2015 को शुरू की गयी थी, जिसके तहत कारीगरों के कौशल उन्नयन, दस्तावेजीकरण, मानक निर्धारण, मास्टर कारीगरों द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण और बाजार संपर्क विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस योजना को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के ‘कौशल भारत मिशन’ के साथ समन्वय में और कौशल भारत पोर्टल (एसआईपी) के साथ एकीकरण के माध्यम से लागू किया गया है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम संबंधित राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन और केनरा बैंक द्वारा नामित राज्य चैनल एजेंसियों के माध्यम से सावधि ऋण, शिक्षा ऋण, विरासत योजना और सूक्ष्म वित्त योजना से जुड़ी अपनी योजनाओं के तहत स्वरोजगार आय सृजन गतिविधियों के लिए अधिसूचित अल्पसंख्यकों के “पिछड़े वर्गों” को रियायती ऋण प्रदान करता है। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों के ‘पिछड़े वर्गों’ के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु स्वरोजगार और आय सृजन गतिविधियों के लिए रियायती ऋण प्रदान करना है। 
इसके अलावा, केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस), पीएमजेवीके एक क्षेत्र विकास कार्यक्रम है, जिसके तहत पहचान किये गए क्षेत्रों में सामुदायिक अवसंरचना और बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। योजना के तहत निर्मित अवसंरचना क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों के लाभ के लिए है। वित्त वर्ष 2023 से, पीएमजेवीके योजना को एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन निगरानी के साथ पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। वित्त वर्ष 2023-24 में, एमओएमए ने अभिनव अवसंरचना पहलों के माध्यम से अल्पसंख्यक संस्कृतियों को संरक्षित करने के लिए पीएमजेवीके के तहत नई परियोजनाओं को मंजूरी दी।
वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2024-25 तक, मंत्रालय ने पीएमजेवीके के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और सीजीओ को 13150.10 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, स्वच्छता, महिला एवं बाल विकास, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 5.63 लाख इकाइयों के लिए 18416.24 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
साथ ही, सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को कम करने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) लागू किया गया है। देश के 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 308 जिलों में चिन्हित 1300 क्षेत्रों को पीएमजेवीके के तहत कवर किया गया है,जिनमें अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 870 ब्लॉक (एमसीबी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 321 शहर (एमसीटी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 109 जिला मुख्यालय शामिल हैं। ये एकीकृत पहल सामूहिक रूप से अंतर को पाटने, अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण को बढ़ावा देने और भारत के व्यापक विकास में उनके पूर्ण समावेश और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए काम करती हैं।
इसके अलावा, हज समिति अधिनियम, 2002 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रशासन सहित हज तीर्थयात्रा को 1 अक्टूबर, 2016 से विदेश मंत्रालय से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया। भारत सरकार ने हज के महत्व को समझते हुए तीर्थयात्रा को, खासकर कम आय वाले व्यक्तियों के लिए सुविधाजनक बनाने हेतु प्रावधान तैयार किए हैं।
– हज सुविधा ऐप: तीर्थयात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए ऐप लॉन्च किया गया। तीर्थयात्री प्रशिक्षण सामग्री, आवास और उड़ान विवरण, सामान की जानकारी, आपातकालीन हेल्पलाइन (एसओएस), शिकायत निवारण, फीडबैक, भाषा अनुवाद और तीर्थयात्रा से संबंधित विविध जानकारी प्राप्त करने के लिए ऐप का उपयोग कर सकते हैं। हज सुविधा ऐप पर अधिक जानकारी उपलब्ध है।
– हज वॉकथॉन: दिल्ली राज्य हज समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पवित्र हज यात्रा की तैयारी कर रहे तीर्थयात्रियों के लिए फिटनेस के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तीर्थयात्रियों की आध्यात्मिक यात्रा से पहले उनकी सेहत और शारीरिक तंदुरुस्ती की जरूरत पर जोर देना था।
बौद्ध विकास योजना की बात करें तो आपको बता दें कि इस योजना का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन में अवसंरचना विकास के माध्यम से बौद्ध आबादी की सामाजिक-आर्थिक उन्नति का समर्थन करना है। परियोजनाओं में बौद्ध विद्यालयों, पेयजल आपूर्ति और युवा खेल पहलों के लिए सुविधाएँ शामिल हैं, जो मुख्य रूप से लद्दाख से सिक्किम तक ले हिमालयी क्षेत्र और दिल्ली के कुछ हिस्सों को कवर करती हैं। इस योजना के तहत, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और दिल्ली विश्वविद्यालय, सीआईएचसीएस (केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान) और सीआईबीएस (केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान) जैसे संस्थानों के लिए 300.17 करोड़ रूपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये संस्थाएँ सीआईबीएस केंद्रित होंगी तथा केंद्र व शाखा (हब-एंड-स्पोक) मॉडल के साथ प्रमुख कार्यान्वयन और पर्यवेक्षण एजेंसियों के रूप में काम करेंगी।
इसके अलावा, कौमी वक्फ बोर्ड तरक्की योजना और शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजनाएँ राज्य वक्फ बोर्डों को स्वचालित बनाने और आधुनिकीकरण के लिए हैं। कौमी वक्फ बोर्ड तरक्की योजना के तहत, वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत और डिजिटल बनाने और वक्फ बोर्डों के प्रशासन को बेहतर बनाने के संदर्भ में जनशक्ति की तैनाती के लिए राज्य वक्फ बोर्डों को सीडब्ल्यूसी के माध्यम से सरकारी अनुदान सहायता (जीआईए) प्रदान की जाती है। शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजना के तहत, वक्फ संपत्तियों पर व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक परियोजनाएं विकसित करने हेतु वक्फ बोर्डों/वक्फ संस्थानों को ब्याज मुक्त ऋण के आगे वितरण के लिए सीडब्ल्यूसी को जीआईए प्रदान किया जाता है।
इसके अलावा सरकार जियो पारसी योजना चला रही है। पारसी समुदाय की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के लिए एक अनूठी केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह योजना 2013-14 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में पारसी आबादी को स्थिर बनाने के लिए वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और संरचित कार्यक्रमों को अपना कर पारसी आबादी की घटती प्रवृत्ति को विपरीत करना है।
– 2014-15 में, ‘जियो पारसी’ योजना के तहत, चिकित्सा सहायता के लिए कुल 14,55,252 रुपये आवंटित किए गए, जबकि समर्थन और आउटरीच कार्यक्रमों के लिए 17,03,500 रुपये जारी किए गए।
– वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, योजना के तहत 3 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई।
– 2024-25 के लिए, 6 करोड़ रुपये (बीई) आवंटित किए गए हैं।
– अपनी स्थापना के बाद से, इस योजना ने 31 मार्च 2024 तक 400 से अधिक पारसी बच्चों के जन्म में योगदान दिया है।
इसके अलावा, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 08 अप्रैल, 2025 को अधिसूचित किया गया था, इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है। संशोधन अधिनियम भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए मजबूत कानूनी प्रावधान हैं और कुशल संपत्ति लेखा परीक्षा और निगरानी के लिए डिजिटल उपकरणों को अपनाने की बात कही गयी है। इन सुधारों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को दुरुपयोग से बचाना तथा यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने इच्छित धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों की पूर्ति करें, और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ बेहतर प्रशासन के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को सशक्त बनाएं। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में समस्याओं को हल करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 को अद्यतन बनाना है।
हम आपको यह भी बता दें कि 6 जून 2025 को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों को वास्तविक समय पर अपलोड करने, सत्यापन करने और निगरानी करने के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म, उम्मीद सेंट्रल पोर्टल लॉन्च किया। उम्मीद सेंट्रल पोर्टल, एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 का संक्षिप्त रूप है, जो वक्फ संपत्तियों को वास्तविक समय पर अपलोड करने, सत्यापन करने और निगरानी करने के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा। अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक भागीदारी की पेशकश के साथ इस पोर्टल से भारत भर में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में व्यापक बदलाव आने की उम्मीद है।
इसके अलावा, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पूरे भारत से अल्पसंख्यक कारीगरों को एक साथ लाने के लिए ‘लोक संवर्धन पर्व’ का आयोजन करता है। यह मंच कारीगरों को अपनी स्वदेशी कला, शिल्प और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। इस कार्यक्रम को न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए, बल्कि कारीगरों के लिए एक अभिनव और उद्यमशील वातावरण को प्रोत्साहन देने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है। हम आपको बता दें कि विपणन, निर्यात, ऑनलाइन व्यापार, डिजाइन, जीएसटी और बिक्री जैसे क्षेत्रों में उनके कौशल को बढ़ाने के लिए, मंत्रालय द्वारा हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के समर्थन से कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं, ताकि उनकी प्रतिभा को सशक्त बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। 
इसके अलावा,
– मंत्रालय ने डीएसजीएमसी (दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति) के सहयोग से सिख भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा कॉलेज में गुरुमुखी लिपि के केंद्र के लिए 25 करोड़ रुपये की सैद्धांतिक मंजूरी दी।
– पारसी विरासत को संरक्षित करने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय में अवेस्ता पहलवी अध्ययन केंद्र के लिए 11.17 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।
– मुंबई विश्वविद्यालय के साथ 11.17 करोड़ रुपये की अवेस्ता पहलवी परियोजना और सीआईएचसीएस (केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान) के साथ 40 करोड़ रुपये के अवसंरचना विकास के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
– मंत्रालय ने जैन समुदाय के लिए दो परियोजनाओं- डीएवीवी, इंदौर में जैन अध्ययन केंद्र और गुजरात विश्वविद्यालय में जैन पांडुलिपि विज्ञान केंद्र को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल अनुमानित लागत 65 करोड़ रुपये है।
बहरहाल, पिछले 11 वर्षों में, भारत सरकार ने लक्षित शैक्षिक, आर्थिक और अवसंरचना निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान में महत्वपूर्ण प्रगति की है। छात्रवृत्ति सहायता, डिजिटल सुधार और विरासत संरक्षण सहित विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए समर्पित योजनाओं और विशेष पहलों के साथ, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। हाल के विधायी संशोधन और डिजिटलीकरण प्रयास, जैसे उम्मीद पोर्टल, प्रशासन में पारदर्शिता व दक्षता को और मजबूत करते हैं। सामूहिक रूप से, ये निरंतर प्रयास समान अवसर को बढ़ावा देने, विविधता का जश्न मनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय भारत की विकास यात्रा में सक्रिय भूमिका निभाएँ।



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