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तेजस्वी से सवाल किया कि चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है? मांगे गए दस्तावेज़ ऐसे हैं जो गरीबों के पास शायद ही हों।
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने चुनावी राज्य बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्देश जारी किए हैं। इसका मतलब है कि बिहार के लिए मतदाता सूची नए सिरे से तैयार की जाएगी। अब इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े किए है। तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की है। इसका मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को दरकिनार कर दिया गया है और एक नई सूची बनाई जाएगी।
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तेजस्वी से सवाल किया कि चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है? मांगे गए दस्तावेज़ ऐसे हैं जो गरीबों के पास शायद ही हों। हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाए। वे समाज के गरीब तबके से वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं।
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कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे राज्य मशीनरी का इस्तेमाल करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर करने का जोखिम है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कदम को “एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से भी ज़्यादा ख़तरनाक” बताया और आरोप लगाया कि उनका राज्य, जहाँ अगले साल चुनाव होने हैं, असली ‘लक्ष्य’ है। आपको बता दें कि सभी मतदाताओं को गणना प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा, तथा 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को आयोग द्वारा निर्दिष्ट दिशा-निर्देशों और अनुसूची के अनुसार अपनी नागरिकता सिद्ध करने वाले दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे।
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