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दिवाली की रात करें ये खास उपाय, चमक उठेगी किस्मत और खत्म होगी दरिद्रता


कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतिनिधित्व करता है। दिवाली पांच दिनों तक चलती है। इस बार अमावस्या को सोमवार पड़ रहा है, जिससे यह दिन और भी खास बन गया है। सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने से सोमवती अमावस्या कही जाती है। इस दिन शिववास का योग बन रहा है। आज यानी के 20 अक्टूबर 2025 सोमवार को दोपहर 03:44 से 21 अक्टूबर सूर्योदय तक सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है। इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। आइए आपको बताते हैं दिवाली के दिन क्या करना शुभ होता है।
 दिवाली के दिन करें ये उपाय
–  दिवाली के दिन अपने घर के बाहर सरसों के तेल का दिया जला देना, इससे गृहलक्ष्मी बढ़ती है ।
–  दिवाली की रात प्रसन्नतापूर्वक सोना चाहिये ।
– दिवाली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर नीम व अशोक (आसोपाल ) के पत्तों का तोरण लगा देना , ऐसा करने से रोग प्रतिकारक शक्ति बढती है ।
– दिवाली के दीन अगर घर के लोग गाय के गोबर के जलते हुए कंडे पर 5-5 आहुतियां डालें, तो उस घर में सुख व समृद्धि और धन में वृद्धि होती है । घी, गुड़, चन्दन चूरा, देशी कपूर, गूगल, चावल, जौ और तिल । 5-5 आहुति इन मंत्र को पढ़कर  डालें – स्थान देवताभ्यो नमः, ग्राम देवताभ्यो नमः, कुल देवताभ्यो नमः । फिर 2-5 आहुतियां लक्ष्मीजी के लिए ये मंत्र बोलकर डालें – ओम श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।
 दिवाली की रात इन मंत्र  का जाप करें
– दिवाली की रात भूलना नहीं जप करना शुभ होता है। इस मंत्र का करें जाप-
 ॐकार मंत्र गायत्री छंद परमात्मा ऋषि।
अंतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे जपे विनियोग।
 लंबा श्वास लो ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ …
 –  पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से  धन-प्राप्ति में मदद मिलती है
–  दीपावली की शाम को तुलसी जी के निकट दिया जलायें, लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है; कार्तिक मास में तुलसीजी के आगे दिया जलाना पुण्य-दाई है, और प्रातः-काल के स्नान की भी बड़ी भारी महिमा है।
– दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फलदाई माना जाता है। दीपावली के अगले दिन  नूतन वर्ष होता है, इस दिन सुबह उठ कर थोडी देर चुप बैठ जाएं इसके बाद अपने दोनों 
हाथों को देख कर यह प्रार्थना करें:
 कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर-मध्ये च सरस्वती,
कर-मूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनं।।
 इसका मतलब है कि- मेरे हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी जी का वास है, मेरे हाथों के मध्य भाग में सरस्वती जी हैं; मेरे हाथों के मूल में गोविन्द हैं, इस भाव से अपने दोनों हाथों के दर्शन करता हूं। 



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